केवल तुम्हें पुकारू मैया
केवल तुम्हें पुकारू मैया, देखूं एक तुम्हारी ओर
अर्पण कर निज को चरणों में, बैठूं हो निश्चिंत विभोर
केवल तुम्हें पुकारू मैया, देखूं एक तुम्हारी ओर
अर्पण कर निज को चरणों में, बैठूं हो निश्चिंत विभोर
मैया एक बस तुम ही मेरी, हो सर्वस्व सर्व सुख सार
प्राणों की तुम प्राण आत्मा, की हो आत्म आध्य आधार
केवल तुम्हें पुकारू मैया, देखूं एक तुम्हारी ओर
अर्पण कर निज को चरणों में, बैठूं हो निश्चिंत विभोर
भला-बुरा, सुख-दुख, शुभ-अशुभ, मै ना जानता कुछ भी मात
जानो तुम्ही करो तुम ही सब, रहो निरंतर मेरे साथ
केवल तुम्हें पुकारू मैया, देखूं एक तुम्हारी ओर
अर्पण कर निज को चरणों में, बैठूं हो निश्चिंत विभोर
भूलूं नहीं कभी मैं तुमको, स्मृति ही हो बस जीवन सार
आए नहीं चित्त मन मति में, कभी दूसरे भाव विचार
केवल तुम्हें पुकारू मैया, देखूं एक तुम्हारी ओर
अर्पण कर निज को चरणों में, बैठूं हो निश्चिंत विभोर
एक मात तुम बसी रहो नित सारे हृदय देश को छेद
एक प्राथना जीवन भर तुम बनी रहो नित संगी एक
केवल तुम्हें पुकारू मैया, देखूं एक तुम्हारी ओर
अर्पण कर निज को चरणों में, बैठूं हो निश्चिंत विभोर
Comments
Post a Comment